Priyanka06

Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -16-Aug-2023 देखो पैसों का कमाल

सार छंद -देखा कमाल जरा पैसों का
देख कमाल जरा पैसों का, पैसा  रूप दिखाता।
देखो पोरो पर हमें नचाता, अरचा हमें बनाता।।

महंगाई रंग चढ़ बोले, अपना रोब जमाती।
साॅंझ सवेरे सज धज निकले, धन से रूप सजाती।।
आज टमाटर देखो भाया, हमको नित्य चिढ़ाता।
देख कमाल जरा पैसों का, पैसा रूप दिखाता।।

चिथड़े तन पर लिपटे होते,आज क्षुधा तरसाये।
पैसों की देखो यह माया, रिश्ते आज भुलाये।।
पैसों के लिए बना हत्यारा, आज गिरानी रुलाता।
देख कमाल जरा पैसों का, पैसा रूप दिखाता।।

कंचन जैसा होता पैसा, सारे जग मे माया।
झिलमिल करता पैसा देखो, तन मन आज समाया।।
रोजी-रोटी इससे मिलती, पैसे बिन सब गॅंवाता।
देख कमाल जरा पैसों का, पैसा रूप दिखाता।।

लेखिका
प्रियंका  भूतड़ा प्रिया ✍️

   6
3 Comments

बेहतरीन अभिव्यक्ति

Reply

Abhinav ji

17-Aug-2023 06:15 AM

Very nice 👍

Reply

Reena yadav

16-Aug-2023 11:28 PM

👍👍

Reply