लेखनी प्रतियोगिता -16-Aug-2023 देखो पैसों का कमाल
सार छंद -देखा कमाल जरा पैसों का
देख कमाल जरा पैसों का, पैसा रूप दिखाता।
देखो पोरो पर हमें नचाता, अरचा हमें बनाता।।
महंगाई रंग चढ़ बोले, अपना रोब जमाती।
साॅंझ सवेरे सज धज निकले, धन से रूप सजाती।।
आज टमाटर देखो भाया, हमको नित्य चिढ़ाता।
देख कमाल जरा पैसों का, पैसा रूप दिखाता।।
चिथड़े तन पर लिपटे होते,आज क्षुधा तरसाये।
पैसों की देखो यह माया, रिश्ते आज भुलाये।।
पैसों के लिए बना हत्यारा, आज गिरानी रुलाता।
देख कमाल जरा पैसों का, पैसा रूप दिखाता।।
कंचन जैसा होता पैसा, सारे जग मे माया।
झिलमिल करता पैसा देखो, तन मन आज समाया।।
रोजी-रोटी इससे मिलती, पैसे बिन सब गॅंवाता।
देख कमाल जरा पैसों का, पैसा रूप दिखाता।।
लेखिका
प्रियंका भूतड़ा प्रिया ✍️
Shashank मणि Yadava 'सनम'
17-Aug-2023 08:32 AM
बेहतरीन अभिव्यक्ति
Reply
Abhinav ji
17-Aug-2023 06:15 AM
Very nice 👍
Reply
Reena yadav
16-Aug-2023 11:28 PM
👍👍
Reply